अजमेर – कर्जे में डूबा प्रदेश, बढ़ा आर्थिक दिवालियेपन की ओर – देवनानी
विधायक अजमेर उत्तर एवं पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि कांग्रेस के ढाई साल के शासन में प्रदेश कर्जे में डूब गया है और धीरे-धीरे आर्थिक दिवालियेपन की ओर आगे बढ़ रहा है। देवनानी ने यह बात गुरूवार को विधान सभा में बजट पर चल रही बहस में भाग लेते हुए कही।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 1 लाख 45 हजार करोड रूपये का कर्जा वर्ष 2021-22 तक ले चुकी है और ऐसे ही हालात बने रहे तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आने वाले दो सालों में प्रदेश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और ये हालात तो तब है जब केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदान में गत वर्षों में 109 प्रतिशत तक की बढोत्तरी हुई है जबकि मुख्यमंत्री गहलोत अपने आर्थिक कुबंधन का ठीकरा हमेशा केन्द्र के माथे फोडने का प्रयास करते हैं कि केन्द्र से सहायता नहीं मिल रही है। इसके अतिरिक्त बजट में झूठे अनुमानित आंकडे प्रस्तुत कर जनता को गुमराह किया गया है जबकि हकीकत में गत दो वर्षो में प्रदेश में राजस्व घाटा भी बहुत तेजी से बढ़ा है। इन हालातों में राज्य सरकार से विकास की उम्मीद करना बेमानी होगा।
ईडब्ल्यूएस वर्ग को भी आयु सीमा में छूट दे सरकार-
ईडब्ल्यूएस पर बोलते हुए देवनानी ने कहा कि मोदी सरकार ने सन 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग की चिन्ता करते हुए 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया था जिसे राज्य में भी लागू किया गया लेकिन आज भी ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु सीमा में कोई छूट नहीं दी जा रही जबकि एसटी और एससी को 5 वर्ष व ओबीसी को 3 वर्ष की छूट दी जाती है। इस दौरान उन्होंने प्रदेश में ईडब्ल्यूएस वर्ग को भी अन्य वर्गों की तरह आरक्षण का न्यायोचित लाभ देने के लिए आयु सीमा व परीक्षा आवेदन शुल्क में छूट देने की मांग राज्य सरकार से की।
युवा फिर छले गये प्रदेश में –
देवनानी ने कहा कि सीएमआई रिपोर्ट की माने तो बेरोजगारी की दर देशभर में 6.9 प्रतिशत है जबकि राजस्थान में 17.7 प्रतिशत है। एक ओर प्रदेश में बेरोजगारी की दर दिनों-दिन बढ़ती जा रही है जबकि सरकार ने इस बजट में आगामी दो साल के लिए केवल पचास हजार पद भरने का आश्वासन दिया है। अब तक के तीनों बजट पर नजर डाले तो कुल 1.78 लाख नियुक्तियों का आश्वासन दिया गया जिसमें से अब तक किसी को भी नियुक्ति नहीं दी गई है केवल 41 हजार पदों पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू हुई है। प्रदेश के 27 लाख बेरोजगारों में से केवल 2 लाख बेरोजगारों को ही सरकार भत्ता दे रही है। उन्होंने कहा कि बजट वास्तविक धरातल से दूर प्रदेश के युवाओं के साथ धोखा करने वाला है। ऐसा लग रहा है कि यह सरकार का अंतिम बजट है और मध्यावती चुनाव की आहट सुनाई पड रही है।
उन्होंने कहा कि भर्तियों में राजस्थानियों को प्राथमिकता देने के संबंध में भी सरकार कुछ नहीं कर पाई। देश के 13 राज्यों में इस पर अध्ययन हो रहा है जबकि प्रदेश सरकार की इस प्रकार की कोई सोच तक नहीं है।
शिक्षा का कैसे समर्पित हुआ बजट-
देवनानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री इस बजट को शिक्षा को समर्पित बता रहे है जबकि ऐसा कहीं प्रतीत नहीं होता है। अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने की घोषणा कर जनता की थोथी वाहवाही लूटी जा रही है लेकिन केवल माध्यम बदलकर पहले से संचालित स्कूलों को रूपान्तरित किया जा रहा है। सरकार को अंग्रेजी मीडियम स्कूल ही खोलनी थी तो स्वामी विवेकानंद माॅर्डन स्कूल की भांति खोलते तब मानते। केवल मीडियम बदलना अभिभावकों एवं विद्यार्थी के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि 22 हजार बंद स्कूल खोलने वाले शिक्षा मंत्री अब तक नहीं खोल सके। इस बजट में भी आपने मात्र 50 नये राजकीय विद्यालय खोलने, 100 स्कूल क्रमोन्नत करने, 15 नए भवन बनाने की घोषणा कर बजट को शिक्षा के प्रति समर्पित कर दिया । सरकार बजट को शिक्षा पर समर्पित करना तो दूर बल्कि इस वर्ष 9वीं की छात्राओं को साइकिल और होनहार विद्यार्थी को लैपटाॅप तक नहीं दे पाई।
आशा सहयोगनियों की चिंता करें सरकार-
उन्होंने कहा कि दूर दूसरे राज्य में बैठे किसानों की चिंता सरकार कर रही है लेकिन राजधानी में ही भरी ठण्ड में बैठी आंगनवाडी आशा सहयोगनियों की चिंता मुख्यमंत्री को नहीं है। मुख्यमंत्री ने एक शब्द भी सहयोगनियों के लिए नहीं कहा। ऐसी असंवेदनशील सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकती है।
पिछले बजट की घोषणाएं थोथी साबित-
देवनानी ने कहा कि पिछले बजट में जो घोषणाएं की गई वे आज तक पूरी नहीं हो पाई। पंचायत स्तर पर नंदी गोशालाएं खोलने वाले थे जो नहीं खोली गई। जयपुर परकोटे में पेयजल तंत्र की मजबूती के लिए 165 करोड लगने थे वह भी नहीं हुआ। गांधी अध्ययन केन्द्र अब तक बना नहीं। राजसमंद में रिको खोलना था जो भी अब तक हुआ नहीं। कई जिलों में मेडिकल काॅलेजों के लिए काॅलेज खोलना तो दूर जमीन तक आंवटित नहीं की गई। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना पर प्रस्तावित बजट का 50 प्रतिशत भी अभी तक सरकार खर्च नहीं कर पाई। बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर खर्च किये जाने वाले बजट का केवल 15 प्रतिशत ही खर्च कर पाए इस प्रकार सरकार न बेटी को बचाना चाहती और न बेटी को पढाना चाहती है। कृषि कल्याण कोष की राशि आपने किसानों पर खर्च नहीं की। कुल मिलाकर पिछले बजट की घोषणाएं थोथी निकली।
स्वच्छता पर भी बजट कटौती-
स्वच्छता के दृष्टि से स्वच्छ भारत मिशन हमारे लिए महत्वपूर्ण था। हम सोच रहे थे इस अभियान के चलते राजस्थान स्वच्छ होगा लेकिन सरकार ने इस पर भी कैची चला दी। मिशन पर खर्च होने वाला 1200 करोड से घटाकर 7.95 करोड कर दिया। स्वच्छता के बजट पर कटौती करना सरकार की स्वच्छता के प्रति कितनी सजगता है इसको दर्शाता है। प्रदेश में बेलगाम कानून व्यवस्था के सुधार हेतु पुलिस तंत्र के सुदृढीकरण को लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है।