अजमेर – एडीए की योजनाओं के बुरे हाल, स्मार्टसिटी के कामों की कछुआ चाल: देवनानी

अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने अजमेर विकास प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं के बुरे हाल तथा स्मार्ट सिटी योजना के कामों की कछुआ चाल का मामला विधान सभा में उठाया। देवनानी ने शुक्रवार को विधानसभा में नगर आयोजना एवं प्रादेशिक विकास की मांग पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने अजमेर के लिए स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट स्वीकृत कर करोड़ों का बजट उपलब्ध कराया। गत भाजपा शासन में अजमेर के विकास व जनहित में जो प्लानिंग की थी सत्ता बदलने के साथ ही अधिकारियों ने रातों-रात उसमें परिवर्तन कर दिया। ब्रह्मपुरी क्षेत्र के नाले को कवर करने के काम का शिलान्यास कर दिया गया था उसे भी निरस्त कर दिया गया। बिना जनप्रतिनिधियों की सलाह के एसे काम स्वीकृत किये जा रहे है जिनसे सीधे-सीधे आमजन को कोई सुविधा मिलने वाली नहीं है। ताजूब की बात तो यह रही कि अजमेर कलक्ट्रेट का भवन भी राज्य सरकार के बजट की बजाय स्मार्टसिटी के बजट से बनाया जाने लगा। ऐसे अनेक प्रोजेक्ट है जिसमें बदलाव की कानोकान भनक किसी को भी नहीं लगने दी। एसा प्रतीत होता है कि अफसर ऐसी योजनाएं पहले ला रहे हैं जिसमें उन्हें ज्यादा कमिशन मिल सके। उन्होंने राज्य सरकार से मांग रखी स्मार्टसिटी प्रोजेक्टों में स्थानीय विधायकों को सदस्य बनाए चाहे वह किसी भी पार्टी का हो ताकि आमजन के जीवन को सुविधाजनक बनाने में सहायक विकास की योजनाएं बन सके व अधिकारियों की मनमानी भी रूक सके।

देवनानी ने कहा कि अजमेर विकास प्राधिकरण की महाराणा प्रतापर नगर, पृथ्वीराज नगर, डीडी पुरम, विजयाराजे सिंधिया, ई ब्लाक सहित कई आवासीय योजनाओं में पेयजल, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। पृथ्वीराज नगर योजना में 14 साल बाद भी सुविधाएं तो छोड़ो वहां पर अधिकांश भूखण्डों के कब्जे भी आवंटियों को नहीं दिये गए। अजमेर विकास प्राधिकरण ने सालों बाद मास्टर प्लान तो लागू कर दिया लेकिन जोनल प्लान अब तक तैयार नहीं जिसके अभाव में बड़ी संख्या में नियमन के प्रकरण लम्बित पड़े है।

उन्होंने अजमेर में सडकों की खस्ता हालत का मामला उठाते हुए कहा कि हालात यह है कि सडक बनाई जाती है और दूसरे दिन से कभी केबिल तो कभी सिवरेज कभी पेयजल और कभी विद्युत या गैस लाइन के नाम पर जगह-जगह से तोड दी जाती है जिसकी वापिस मरम्मत कराने के लिए कोई सुध नहीं ली जाती। क्षेत्रवासियों को आवाजाही में भयंकर समस्या से दो चार होना पड रहा है। सडकों पर बने भयंकर गड्ढों में गिरने से अनेक वाहनचालक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके है।

उन्होंने कहा कि स्मार्टसिटी का निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहा है। एलीवेटेड रोड का निर्माण जून 21 तक पूरा होना था लेकिन यह संभव होता दिखाई नहीं पड रहा है। अजमेर में सीवरेज के जो कार्य कराये गये है उनमें भी कई तकनीकी खामियां है। उन्होंने कहा कि अजमेर को 24 घण्टे के अंतराल से पानी देंगे यह बात हुई थी लेकिन आज भी वही 48-72 घण्टे में जनता को पानी मिल रहा है। अजमेर स्मार्टसिटी बनने की राह पर है लेकिन पानी 48 घण्टे में देंगे तो वह कैसे स्मार्टसिटी बन सकेगा।

बस गए बांगलादेशी घुसपेठिये

अजमेर में सरकारी जमीनों पर बेरोकटोक अतिक्रमण होने की बात भी देवनानी ने सदन में रखी। देवनानी ने कहा कि नगर निगम व अजमेर विकास प्राधिकरण की अनदेखी के चलते अजमेर में अन्दरकोट, भाटाबाव, दरगाह सम्पर्क सड़क, चैरसियावास, नौसर, रातीडांग आदि पहाड़ी क्षेत्रों पर बड़ी संख्या में लोगो ने अतिक्रमण कर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से मकानों के निर्माण कर लिये है। ऐसी जानकारी भी है कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बांगलादेशी घुसपेठिये भी बस चुके हैं जोकि क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहते है।

लीज बढाकर दुकानों की छतों का कब्जा दे सरकार

देवनानी ने कहा कि आजादी के समय पाक से जो लोग आए उन्हें लीज पर तब दुकाने दे दी गई लेकिन कुछ वर्षों से दुकानों का पैसा लेना बंद कर दिया गया। भाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में 99 साल के लिए लीज पर दुकाने देने का आॅर्डर भी निकाला। लीज की राशि 31 दिसम्बर 2018 तक जमा कराना था लेकिन सरकार बदलते ही कांग्रेस सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। इस अवसर पर देवनानी ने 800 दुकानों को लीज जमा करने के साथ छत के उपयोग करने का कब्जा भी सौंपने की मांग की।

फाॅयसागर रोड पर बसी आवासीय काॅलोनियों को निगम में जोडा जाए

देवनानी ने फाॅयसागर रोड पर स्थित लगभग 20 से अधिक छोटी-बडी आवासीय काॅलोनियों को निगम में जोड़ने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि वहां पर निगम द्वारा ना तो सफाई की व्यवस्था है और ना स्ट्रीट लाईट की कोई व्यवस्था क्यों कि क्षेत्र निगम सीमा से बाहर स्थित है। क्षेत्र में 90 ए की कार्यवाही नहीं होने से विधायक व सांसद कोष से भी विकास कार्य स्वीकृत नहीं हो पा रहे जिससे क्षेत्रवासियों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा हे।

ऐसे तो कैसे होंगे गुणवत्तापूर्ण कार्य

उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों विभिन्न निर्माण कार्यो के लिए टेण्डर प्रक्रिया के उपरांत जो कार्यादेश जारी किये जाते है वे 30 से 40 प्रतिशत तक कम राशि पर दिये जा रहे है फिर गुणवत्तापूर्ण कार्य की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। सरकार को इस संबंध में ऐसी नीति बनानी चाहिए कि कम दर पर कार्य ठेके पर नहीं दिये जाए जिससे गुणवत्तापूर्ण कार्य हो सके, राजकोष का सदुपयोग हो सके।

सरकार ने लोकतंत्र का गला घोटा

देवनानी ने कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र का गला घोटा गया। जयपुर नगर निगम एवं पुष्कर नगर पालिका में विधिवत समितियां बनी लेकिन मनोकूल नहीं बनने से सरकार द्वारा समितियों को निरस्त कर दिया। पुष्कर में तो समितियां निरस्त कर अपने मनमाफिकों को लेकर समितियां बना दी। इससे पूर्व वार्डों का गठन भी नियमों को ताक में रखकर किया। वार्ड बनाते समय न जनसंख्या का ध्यान रखा गया और न भौगोलिय क्षेत्र का। जैसे मन में आया वैसे करते चले गए। ये लोकतंत्र का गला घोटने वाला काम नहीं तो और क्या है? ऐसी छोटी छोटी बातों में सरकार राजनीति करेगी तो प्रदेश का विकास कैसा होगा यह सोचने की बात है।

कांग्रेस को महापुरूषों से चिड है

देवनानी ने कहा कि प्रदेश सरकार को हमारे महापुरूषों से चिड है। सरकार अन्नपूर्णा, भामाशाह, राधाकृष्णन आदि आदश देवी-महापुरूषों से चिडती है। सरकार को तो केवल इंदिरा, राजीव, नेहरू इत्यादि से ही प्रेम है। देवनानी ने कहा कि सरकार इंदिरा, राजीव, नेहरू से भले ही प्रेम करे लेकिन अन्नपूर्णा जैसी देवी से तो ना चिडे। ये सब तो भाजपा के नहीं थे फिर भी अन्नपूर्णा देवी के नाम से भाजपा शासन में संचालित अन्नपूर्णा रसोई योजना का नाम बदलकर इंदिरा रसोई योजना नाम रखना कहीं न कहीं सरकार की संकुचित मानसिकता को दर्शाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *