मनोकामना पूर्ति के लिए यहां विराजमान हुए विनायक
अजमेर में स्थित प्राचीन विघ्न विनाशक गणपति मंदिर की पूजा अर्चना के बाद ही शहरवासी अपने मांगलिक कार्य की शुरुआत करते हैं ।
आगर गेट पर स्थित मंदिर का इतिहास मराठा काल से जुड़ा है जब से ही अजमेर निवासियों ने भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर हर मांगलिक कार्य की शुरुआत करना शुरू किया और देखते ही देखते भगवान गणेश का आशीर्वाद शहर वासियों के साथ साथ जो भी मंदिर में धोक लगाता उससे मिलना शुरू हो गया । विघ्न विनाशक गणपति मंदिर आगरा गेट के पुजारी महंत घनश्याम आचार्य ने बताया कि इस मंदिर पर जो भी अपनी मनोकामना मांगता है वह खाली हाथ नहीं लौटता भक्त हर मंगलकार्य से पहले आगरा गेट गणपति मंदिर जरूर पहुंचते हैं ,और यहां के आशीर्वाद के बाद ही अपने कार्यों की शुरुआत की जाती है इस मंदिर में भक्तों बड़ी संख्या में आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं ।
यह मंदिर मराठा काल से पहले अजमेर में स्थापित है ।
महंत घनश्याम आचार्य ने मंदिर के इतिहास के बारे में बताया कि मंदिर मराठा काल से यह स्थापित है उन्होंने कहा कि जब मराठों का राज अजमेर में था तब यहां आगरा गेट द्वार बना था इसी द्वार पर विघ्न विनाशक गणपति विराजमान थे लेकिन उस गेट को युद्ध के दौरान बड़ा किया गया था जिसके चलते विघ्न विनाशक गणपति की मूर्ति को वहीं स्थित मराठा काल के शस्त्रागार में रखा गया था जहां आज जिला पुलिस की आगरा की चौकी स्थित है मराठा काल में ही राजाओं ने इस मूर्ति को विधि विधान से मंदिर मैं प्राण प्रतिष्ठा का स्थापित किया ।
ऐसा और किसी मंदिर में नहीं होता है ।
बताया जाता है कि भगवान गणेश का आशीर्वाद लेकर मराठा काल के राजाओं के साथ-साथ हर व्यक्ति हर मंगल कार्य से पहले विघ्न विनाशक गणपति मंदिर जरूर पहुंचता है । और यही परंपरा पिछली पांच सदियों से चली आ रही है रोजाना पूजा अर्चना के बाद आम जनता के लिए मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, लेकिन गणेश जयंती के मौके पर विशेष पूजा अर्चना कर आम जनता के बीच में ही भगवान गणेश का पंचामृत से स्नान करवाया जाता है जिससे कि वह उनकी जन्म की तस्वीर को देख सके ऐसा और किसी मंदिर में नहीं होता है ।